tag:blogger.com,1999:blog-9200362842914834519.post4973007454011750840..comments2023-06-30T13:04:14.393+05:30Comments on संक्षिप्त वाल्मीकि रामायण: माता कौशल्या से विदा - अयोध्याकाण्ड (6)Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/09998235662017055457noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-9200362842914834519.post-64096465602458222232009-10-30T00:42:20.179+05:302009-10-30T00:42:20.179+05:30अभी तक की कथा पढ़ने से बाल्मीकि और तुलसी रामायण मै...अभी तक की कथा पढ़ने से बाल्मीकि और तुलसी रामायण मैं थोडा-थोडा अंतर तो समझ मैं आया है | और ये अंतर तो होने ही हैं क्यों की ये दो भिन्न ऋषियों , संतों द्वारा दो भिन्न काल खंडों मैं लिखी गई है पर कथा का मूल एक ही है | तुलसीदास ने राम कथा लगभग १७ लाख वर्ष बाद लिखी है ... भगवान् राम का जन्म काल लगभग १७-१८ लाख वर्ष पूर्व माना गया है | <br /><br />और जहाँ तक मुझे पता है तुलसीदास ने रामचरितमानस सुर-ताल-लय मैं गाने के लिए बनाया है | रामचरितमानस के सभी श्लोकों मैं श्री राम का नाम है सिवाए एक श्लोक के | इस सन्दर्भ से भी देखें तो स्थिति स्पस्ट हो जाती है ...Rakesh Singh - राकेश सिंहhttps://www.blogger.com/profile/03770667837625095504noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9200362842914834519.post-3130030260484791432009-10-28T17:02:24.104+05:302009-10-28T17:02:24.104+05:30हाँ .....ज़रूर अंतर होगा... वाल्मीकि रामायण तब महर...हाँ .....ज़रूर अंतर होगा... वाल्मीकि रामायण तब महर्षि वाल्मीकि ने लिखी थी जब राम ने सीता का त्याग किया था और सीता जी वाल्मीकि आश्रम ही निवास कर रहीं थीं....यह कथा सीता जी ने स्वयं महर्षि वाल्मीकि को बताई थी.....इस कारण अंतर अवश्य होगा.....एक आपबीती है और दूसरी......पटकथा.....स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9200362842914834519.post-39990452680880512442009-10-24T19:11:40.501+05:302009-10-24T19:11:40.501+05:30दोनों कथाओं में बहुत अंतर हैं। आप कथा आगे ले चलें।...दोनों कथाओं में बहुत अंतर हैं। आप कथा आगे ले चलें। दोनो कथाओं के अंतर बाद में बताए जा सकते हैं।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9200362842914834519.post-39569333567957551882009-10-24T18:50:17.589+05:302009-10-24T18:50:17.589+05:30संगीता जी,
यद्यपि रामकथा का मूल तो एक ही है किन्त...संगीता जी,<br /><br />यद्यपि रामकथा का मूल तो एक ही है किन्तु यदि आप ध्यान से पढ़ेंगी तो आपको वाल्मीकि रामायण और रामचरितमानस के रामकथा में बहुत सारी विभिन्नताएँ मिलेंगी। यहाँ पर मैं कथा का संक्षिप्त रूप दे रहा हूँ तो भी बहुत सारे अंतर हैं जैसे कि रामचरितमानस में देवताओं के प्रार्थना करने पर माता सरस्वती मंथरा की मति फेर देती हैं किन्तु वाल्मीकि रामायण में मंथरा अपने स्वार्थवश ही सब कुछ करती है।<br /><br />अहल्या के प्रसंग में तो बहुत बड़ा अन्तर मैंने अपने पोस्ट में ही बताया है, देखेः <a href="http://vramayan.blogspot.com/2009/10/13.html" rel="nofollow"><b>अहल्या की कथा</b></a><br /><br />जैसे जैसे कथा आगे बढ़ेगी आपको बहुत सारे अन्तर स्पष्ट होते जायेंगे।<br /><br />सबसे बड़ी बात तो यह है कि तुलसीदास जी ने रामचरितमानस में राम को शुरू से आखिर तक भगवान ही माना है किन्तु वाल्मीकि ने उन्हें मनुष्य मान कर ही रामायण की रचना की है।GK Awadhiyahttps://www.blogger.com/profile/10204880145193045734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9200362842914834519.post-7130651092518171142009-10-24T18:37:58.157+05:302009-10-24T18:37:58.157+05:30बाल्मिकी रामायण की कहानी भी तो रामचरित मानस जैसी ह...बाल्मिकी रामायण की कहानी भी तो रामचरित मानस जैसी ही चल रही है !!संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.com