tag:blogger.com,1999:blog-9200362842914834519.post2894268467525470632..comments2023-06-30T13:04:14.393+05:30Comments on संक्षिप्त वाल्मीकि रामायण: राम, भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न का जन्म - बालकाण्ड (2)Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/09998235662017055457noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-9200362842914834519.post-51816017920801120992009-10-15T09:07:28.939+05:302009-10-15T09:07:28.939+05:30राकेश सिंह जी,
राम चरितमानस में श्री तुलसीदास जी ...राकेश सिंह जी,<br /><br />राम चरितमानस में श्री तुलसीदास जी ने लिखा है "भये प्रकट कृपाला दिन दयाला कौशल्या हितकारी ..." अर्थात् श्रीरामचन्द्र जी प्रकट हुए। तुलसीदास जी ने श्री रामचन्द्र जी को मनुष्य के रूप में भी ईश्वर ही माना है, इसलिए उन्होंने ऐसा लिखा।<br /><br />किन्तु आदिकवि महर्षि वाल्मीकि ने राम को ईश्वर का अवतार तो माना है किन्तु अपने सम्पूर्ण महाकाव्य अर्थात् रामायण में उन्होंने राम को मनुष्य के रूप में ईश्वर नहीं वरन मनुष्य ही चित्रित किया है। राम के जन्म वाले श्लोक में वे लिखते हैं:<br /><br /><b>प्रोद्यमाने जगन्नाथं सर्वलोकनमस्कृतम्।<br />कौसल्याजनयद् रामं दिव्यलक्षणसंयुतम्॥</b><br /><br />अर्थात् कौसल्या ने दिव्य लक्षणों से युक्त, सर्वलोकवन्दित जगदीश्वर श्रीराम को जन्म दिया।<br /><br />(गीताप्रेस गोरखपुर से प्रकाशित श्रीमद्वाल्मीकीय रामायण, प्रथम खण्ड, अष्टादशः सर्गः श्लोक 10 का अंश।)Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09998235662017055457noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9200362842914834519.post-31680020702534894402009-10-15T08:43:36.122+05:302009-10-15T08:43:36.122+05:30अवधिया जी मैं तो संपूर्ण बाल्मीकि रामायण (श्लोक) क...अवधिया जी मैं तो संपूर्ण बाल्मीकि रामायण (श्लोक) के साथ का पक्षधर हूँ | जब तक संपूर्ण रामायण नाहीं आती तब तक संक्षिप्त से ही काम चलाता हूँ |<br /><br />एक शंका है ... आपने लिखा है "कौशल्या के गर्भ से एक शिशु का जन्म हुआ"... पर सुना तो ऐसा जाता है की "भये प्रकट कृपाला दिन दयाला कौशल्या हितकारी ..." | समय मिले तो शंका निवारण करें|<br /><br />धन्यवादRakesh Singh - राकेश सिंहhttps://www.blogger.com/profile/03770667837625095504noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9200362842914834519.post-40112757466362934012009-10-13T18:50:02.002+05:302009-10-13T18:50:02.002+05:30आदरणीय अवधिया जी,
सादर प्रणाम,
आपका आभार किन शब्दो...आदरणीय अवधिया जी,<br />सादर प्रणाम,<br />आपका आभार किन शब्दों में व्यक्त करूँ ?<br />आपने जो यह कदम उठाया है उसकी प्रशंसा मैं कर नहीं पा रही हूँ..<br />मुझ जैसे अनगिनत इससे लाभ उठाएंगे और आपको धन्यवाद देंगे...<br />पुनः आपका आभार....स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9200362842914834519.post-800412839448361372009-10-12T21:21:59.052+05:302009-10-12T21:21:59.052+05:30आपके इस कदम से मै सहसा हर्षातिरेक से भर गया....आपक...आपके इस कदम से मै सहसा हर्षातिरेक से भर गया....आपको कोटिशः साधुवाद...वैसे आपने इस पर बारम्बार स्पष्टीकरण दिया है पर एक बार फिर निवेदन करूँगा...कि एक-दो श्लोक ही जो बहुत ही महत्वपूर्ण या रोचक हों वो ही देते जाइये...इससे लोगों में मूल रामायण के प्रति रुचि भी बढ़ेगी..और आदिकवि वाल्मीकि के मूल शब्दों का लालित्य भी लोग देख सकेंगे....एक बार फिर से आपके इस गुरुतर प्रयास के लिए अनगिन साभार....Dr. Shreesh K. Pathakhttps://www.blogger.com/profile/09759596547813012220noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9200362842914834519.post-68629330973291733842009-10-12T17:22:48.647+05:302009-10-12T17:22:48.647+05:30अवधिया जी इस कथा से बहुत लगाव है। यही है जिसे मैं ...अवधिया जी इस कथा से बहुत लगाव है। यही है जिसे मैं ने स्कूल में भर्ती होने के पहले माँ से सीखा था और स्कूल में सब बच्चों को बिठा कर सुनाया करता था।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9200362842914834519.post-87162618633941396492009-10-12T14:20:24.883+05:302009-10-12T14:20:24.883+05:30रोचक कथा -अनुकथन !रोचक कथा -अनुकथन !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.com