अश्वमेध यज्ञ का अनुष्ठान - उत्तरकाण्ड (22)
>> Monday, June 7, 2010
सब भाइयों के आग्रह को मानकर रामचन्द्र जी ने वसिष्ठ, वामदेव, जाबालि, कश्यप आदि ऋषियों को बुलाकर परामर्श किया। उनकी स्वीकृति मिल जाने पर वानरराज सुग्रीव को सन्देश भेजा गया कि वे विशाल वानर सेना के साथ यज्ञोत्सव में भाग लेने के लिये आवें। फिर विभीषण सहित अन्य राज-महाराजाओं को भी इसी प्रकार के सन्देश और निमन्त्रण भेजे गये। संसार भर के ऋषि-महर्षियों को भी सपरिवार आमन्त्रित किया गया। कुशल कलाकारों द्वारा नैमिषारण्य में गोमती तट पर विशाल एवं कलापूर्ण यज्ञ मण्डप बनाने की व्यवस्था की गई। विशाल हवन सामग्री के साथ आगन्तुकों के भोजन, निवास आदि के लिये बहुत बड़े पैमाने पर प्रबन्ध किया गया। नैमिषारण्य में दूर-दूर तक बड़े-बड़े बाजार लगवाये गये। सीता की सुवर्णमय प्रतिमा बनवाई गई। लक्ष्मण को एक विशाल सेना और शुभ लक्षणों से सम्पन्न कृष्ण वर्ण अश्व के साथ विश्व भ्रमण के लिये भेजा गया।
देश-देश के राजाओं ने श्रीराम को अद्भुत उपहार भेंट करके अपने पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया। आगत याचकों को मनचाही वस्तुएँ संकेतमात्र से ही दी जा रही थीं। उस यज्ञ को देखकर ऋषि-मुनियों का कहना था कि ऐसा यज्ञ पहले कभी नहीं हुआ। यह यज्ञ एक वर्ष से भी अधिक समय तक चलता रहा। इस यज्ञ में सम्मिलित होने के लिये महर्षि वाल्मीकि भी अपने शिष्यों सहित पधारे। जब उनके निवास की समुचित व्यवस्था हो गई तो उन्होंने अपनरे दो शिष्यों लव और कुश को आज्ञा दी कि वे दोनों भाई नगर में सर्वत्र घूमकर रामायण काव्य का गान करें। उनसे यह भी कहा कि जब तुमसे कोई पूछे कि तुम किसके पुत्र हो तो तुम केवल इतना कहना कि हम ऋषि वाल्मीकि के शिष्य हैं। यह आदेश पाकर सीता के दोनों पुत्र रामायण का सस्वर गान करने के लिये चल पड़े।
6 टिप्पणियाँ:
बहुत बढ़िया
शानदार
यज्ञ का नाम अश्वमेघ नहीं बल्कि "अश्वमेध" है - शीर्षक में ठीक कर लीजिये.
बढ़िया.आभार!
@ Smart Indian
गलती का ध्यान दिलाने के लिये बहुत बहुत धन्यवाद! मुझे अपनी इस गलती के लिये खेद है तथा अब गलती सुधार ली गई है।
आपका कोई जबाब नही .सारगर्भित लेख के लिए बहुत2 बधाई.
कृपया यह सूचित करें कि 'लवकुश ने अश्व पकड़ा और रामसेना से उनका युद्ध हुआ।' यह वर्णन कहां (किस ग्रन्थ में) है?
Post a Comment